Sunday, April 21, 2013

घिसी पिटी राहों पे चलना मेरा शौक नहीं


आशा वादी बनिए सफलता आपके अन्दर है-

घिसी पिटी राहों पे चलना मेरा शौक नहीं
चूहे बिल्ली की दौड़ दौड़ना मेरा शौक नहीं
जिस मंजिल पर लगी हों सब की निगाहें
उसे अपनी मंजिल बनाना मेरा शौक नहीं.

लोग कहते है-
काँटों पर चलकर नहीं देखा तो क्या देखा
अंगारों पर जलकर नहीं देखा तो क्या देखा
पर ए दुनिया वालों-
एक ही मंजिल पर भीड़ बढाने के लिए
बेवजह अपने पाँव दुखाना मेरा शौक नहीं.

जानती हूँ अपने शौक को, गर्व है अपने हुनर
लाख भागे दुनिया, हथियाने औरों का हुनर
मैं हूँ ऐसा पारस गुमनाम और छुपा हुआ
पत्थर को पत्थर समझना मेरा शौक नहीं.

जिस दिशा भी चली उसे ही राह बना लिया
जहाँ भी डाला डेरा मंजिल को वहीँ पा लिया
भटके भले ही दुनिया बेहतर की चाह में
पर जिंदगी भर भटकना मेरा शौक नहीं.

-उषा तनेजा

8 comments:

  1. उम्दा लेखन के लिए हार्दिक बधाई। मेरे ब्लॉगपर आपका स्वागत है.........

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  2. धन्यवाद Kumar Gaurav Ajeetendu जी.

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  3. शुक्रिया मदन मोहन सक्सेना जी!

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  4. जिस मंजिल पर लगी हों सब की निगाहें
    उसे अपनी मंजिल बनाना मेरा शौक नहीं

    .भटके भले ही दुनिया बेहतर की चाह में
    पर जिंदगी भर भटकना मेरा शौक नहीं.....
    Waaah.... Usha ji.. be-had khoobsoorat likha hai aap ne ye....
    ........................................................... Wonderful writing....

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  5. जिस मंजिल पर लगी हों सब की निगाहें
    उसे अपनी मंजिल बनाना मेरा शौक नहीं.

    भटके भले ही दुनिया बेहतर की चाह में
    पर जिंदगी भर भटकना मेरा शौक नहीं....
    Waaah.... Usha ji.. be-had khoobsoorat likha hai aap ne ye....
    Wonderful writing....

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  6. आदरणीय Gps Malhotra जी, उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल से आभार!

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  7. बहुत खूब - शुभकामनाएं

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